Friday, 15 February 2013

नवीन कुकुरमुत्ता कवियों के खिलाफ जिहाद

धीरज, धर्म, मित्र और नारी में सिर्फ धीरज ही बचा था मेरे पास आपत्तिकाल में परखने के लिए, जबकि बाकी तीन तो स्वयं ही आपत्तिकाल हैं... लेकिन फेसबुक पर साहित्यिक भूकंप के साथ कवित्त की सुनामी भी चल रही है... लिहाजा मेरा धीरज भी आखिर जबाब दे ही गया... और मैंने भी कंप्यूटर मानिटर के कटोरे में तमाम शब्दों का कचूमर बना डाला और फेसबुक पर आपके लिए वसंत पंचमी पर पीत-कवित्त परोस रहा हूँ... बूता हो तो झेलिये वरना लाइक करके कोई कायदे की पोस्ट पढ़िए...

अब मैं भी सारे रसों में कवितायें घिसुंगा... श्रंगार रस, वीर रस, रौद्र रस, प्रेम रस, वीभत्स रस, हास्य रस, निंदा रस, गन्ने का रस समेत अनंत रसों की काकटेल कवितायें पेश करूंगा... ज्ञान को पीठ जैसे पुरस्कारों को निगोशिएट करने के लिए छायावादी की बजाय सीधे-सीधे अंधेरवादी कवितायें सकेलुंगा...

मेरा बस चला तो बेडशीट, कुशन कवर, हैंकी आदि के साथ-साथ टायलेट पेपर तक में कवितायें छपवा दूं, ताकि जन-जन हरवक्त कविताओं का भरपूर सेवन करे... पोलियो के टीके की तरह पोएटरी हारमोन के भी टीके बच्चों को लगाने का अभियान चले ताकि भीषण कवियों की पौध तैयार रहे... देश के दुश्मनों और आतंकवादियों से निपटने के लिए सीमा पर एक बटालियन फ़ौज से कहीं ज्यादा एक अदद मौसमी कवि कारगर होगा... फिलहाल ये शब्दों का कचूमर झेलिये... सभी मेरे जैसे घोंघा वसंतों को हैप्पी वसन्ता... ईश्वर आपको शक्ति दे, मेरी हार्दिक शुभकामनाएं आपके साथ हैं...
धीरज, धर्म, मित्र और नारी में सिर्फ धीरज ही बचा था मेरे पास आपत्तिकाल में परखने के लिए, जबकि बाकी तीन तो स्वयं ही आपत्तिकाल हैं... लेकिन फेसबुक पर साहित्यिक भूकंप के साथ कवित्त की सुनामी भी चल रही है... लिहाजा मेरा धीरज भी आखिर जबाब दे ही गया... और मैंने भी कंप्यूटर मानिटर के कटोरे में तमाम शब्दों का कचूमर बना डाला और फेसबुक पर आपके लिए वसंत पंचमी पर पीत-कवित्त परोस रहा हूँ... बूता हो तो झेलिये वरना लाइक करके कोई कायदे की पोस्ट पढ़िए...

अब मैं भी सारे रसों में कवितायें घिसुंगा... श्रंगार रस, वीर रस, रौद्र रस, प्रेम रस, वीभत्स रस, हास्य रस, निंदा रस, गन्ने का रस समेत अनंत रसों की काकटेल कवितायें पेश करूंगा... ज्ञान को पीठ जैसे पुरस्कारों को निगोशिएट करने के लिए छायावादी की बजाय सीधे-सीधे अंधेरवादी कवितायें सकेलुंगा... 

मेरा बस चला तो बेडशीट, कुशन कवर, हैंकी आदि के साथ-साथ टायलेट पेपर तक में कवितायें छपवा दूं, ताकि जन-जन हरवक्त कविताओं का भरपूर सेवन करे... पोलियो के टीके की तरह पोएटरी हारमोन के भी टीके बच्चों को लगाने का अभियान चले ताकि भीषण कवियों की पौध तैयार रहे... देश के दुश्मनों और आतंकवादियों से निपटने के लिए सीमा पर एक बटालियन फ़ौज से कहीं ज्यादा एक अदद मौसमी कवि कारगर होगा... फिलहाल ये शब्दों का कचूमर झेलिये... सभी मेरे जैसे घोंघा वसंतों को हैप्पी वसन्ता... ईश्वर आपको शक्ति दे, मेरी हार्दिक शुभकामनाएं आपके साथ हैं...

No comments:

Post a Comment